Types Of Bank Loans In India | भारत में लोन कितने प्रकार का है

Types Of Bank Loans In India: भारत में लोन कितने प्रकार का है UPDATED info here, what is personal loan? what is mortgage loan? how to get personal loan ? what is business loan? what is project loan? loan on credit card, loan on live stock, loan on vehicle, loan on property, what is credit line? what is credit score? what is Education Loan?  यदि किसी चीज को खरीदना हो तो उसके लिए आपको पैसे की जरूरत होती है अथवा आपको अपना बिजनेस बढ़ाना हो तो भी पैसों की जरूरत होती है ऐसी स्थिति में आप यह पैसे किसी फाइनेंस कंपनी से अथवा बैंक से लेते हैं इसे लोन या कर्ज कहा जाता है।

Types of loan based on time समय के हिसाब से लोन तीन प्रकार के होते हैं?

  • अल्पकालिक लोन (Short Term Loan) – यह लोन अत्यल्प समय के लिए लिया जाता है यह लगभग 1 साल या इससे कम समय के लिए लिया जाता है।
  • मध्यकालीन लोन (Medium Term Loan ) – यह लोन एवरेज समय के लिए लिया जाता है यह लगभग 1 साल से 3 साल के बीच के समय के लिए लिया जाता है।
  • दीर्घकालीन लोन (Long Term loan) – यह लोन लंबी अवधि के लिए लिया जाता है इसमें लगभग समय 5 वर्ष या उससे अधिक होता है।

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Types of Loan in India भारत में बैंकें कितने प्रकार के लोन देती हैं?

1. बिजनेस लोन (Business Loan)

इस प्रकार का लोन लोगों को उनके बिजनेस में कुछ खरीदारी करने व्यवसाय के विस्तार विकास ऋण या किसी भी प्रकार के कमर्शियल इन्वेस्टमेंट सहित छोटी मोटी और स्टार्टअप व्यवसायिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दिया जाता है। बिजनेस लोन आमतौर पर प्रमुख वाणिज्यिक ऋण नेताओं द्वारा अत्यधिक प्रतिस्पर्धी ब्याज दरों पर उपलब्ध होते हैं Types Of Bank Loans In India वे लोग इसी अवधि के आधार पर परिवर्तनीय दर के साथ बिजनेस लोन उपलब्ध करवाते हैं। इसलिए यह लोन सामान्य लोग के लिए काफी महंगा पड़ जाता है और इसकी वापस करने में कठिनाई होती है।

This type of loan is given to people for making some purchases in their business, business expansion, development loan or any kind of commercial investment, including small fat and startup business needs. Business loans Types Of Bank Loans In India are generally available at highly competitive interest rates by leading commercial credit leaders. They also provide business loans with variable rates depending on the tenure. That’s why this loan becomes very expensive for the common people and there is difficulty in returning it.

2. होम लोन (Home Loan)

इस प्रकार का लोन घर खरीदने या बनाने के लिए अधिकतर लोग लेते हैं होम लोन की ब्याज दर अन्य लोन की तुलना में कम होती है होम लोन के भुगतान पर आपको आयकर में भी फायदा होता है इसमें होम लोन देने वाली कंपनी द्वारा प्रॉपर्टी सिक्योरिटी के तौर पर ली जाती है। यह प्रॉपर्टी कमर्शियल या पर्सनल हो सकती हैं अगर लोन लेने वाला व्यक्ति बकाया राशि का भुगतान नहीं कर पाता है तो लैंडर को प्रॉपर्टी की बिक्री से बकाया लोन राशि को प्राप्त करने का कानूनी Types Of Bank Loans In India अधिकार होता है। बैंक घर बनाने के कुल खर्च का 75% से 85% तक का होम लोन देता है बाकी पैसों को कस्टमर को खुद के आधार पर व्यवस्था करनी होती है।

3. पर्सनल लोन (Personal Loan)

इस प्रकार का लोन व्यक्ति अपने खुद के कार्य अथवा खुद के निजी काम के लिए लेता है। वैसे देखें तो हर व्यक्ति अपने लिए ही लोन लेता है लेकिन पर्सनल लोन का मतलब होता है कि व्यक्ति अपने पर्सनल कामों के लिए लोन ले लेता है जैसे कि बच्चे की स्कूल की फीस जमा करवाना कोई महंगी गिफ्ट खरीदना घर का कुछ सामान लाना इत्यादि रोजमर्रा की जरूरत के लिए किया गया लोन पर्सनल लोन होता है। पर्सनल लोन बहुत सी कंपनियां अथवा बैंक देती है और उनका अलग-अलग ब्याज दर के आधार पर लोन लेने का सिस्टम होता है। पर्सनल लोन की ब्याज दर अन्य लोन की तुलना में काफी अधिक है पर्सनल लोन के लिए बैंक आपसे ज्यादा डॉक्यूमेंट नहीं मांगती है बस आपको अपनी सैलरी स्लिप दिखाकर लोन दे दिया जाता है।

4. गोल्ड लोन (Gold Loan)

इस प्रकार का लोन आप किसी बैंक अथवा फाइनेंस कंपनी के लॉकर में अपना गोल्ड रखकर लोन प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह के लोन में राशि आपके द्वारा जमा किए गए गोल की क्वालिटी और उसकी वैल्यू के आधार पर ही स्वीकृत की जाती है। Types Of Bank Loans In India वैसे देखे तो बैंक अथवा फाइनेंस कंपनी आपको गोल्ड की कीमत के 80% तक की रकम स्वीकृत करती है। गोल्ड लोन पर लगने वाला ब्याज पर्सनल लोन की तुलना में काफी कम होता है गोल्ड लोन लोग इमरजेंसी की स्थिति में लेते हैं।

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5. प्रॉपर्टी लोन (Property Loan) Types Of Bank Loans In India

प्रॉपर्टी लोन वह लोन होता है जिसमें बैंक आपके प्रॉपर्टी के कागजात के आधार पर आपको लोन देता है। प्रॉपर्टी लोन आपको लगभग 10 से 15 साल के लिए मिल जाता है इसमें आपको आमतौर पर आप की प्रॉपर्टी की कीमत का 50% तक का लोन मिल जाता है।

6. एजुकेशन लोन (Education Loan)

इस प्रकार का लोन कस्टमर को आगे की पढ़ाई के लिए दिया जाता है हर किसी छात्र के बस की बात नहीं होती है कि वह अपनी मनपसंद के स्टेट्यूट में पढ़ाई कर सकें। Types Of Bank Loans In India क्योंकि मनपसंद की अच्छी संस्था में फीस भी काफी उच्च होती है इसलिए उन छात्रों का प्रवेश है हो पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में उनको एजुकेशन लोन की जरूरत होती है। यह लोन बैंक उस स्टूडेंट को देती है जिसे वापस करने की क्षमता रखते हैं स्टूडेंट की क्षमता को जाने के लिए लोन देने वाले स्टूडेंट किस यूनिवर्सिटी में जा रहे हैं उसका परफॉर्मेंस कैसा है यह देखा जाता है। पूरी पढ़ाई होने के बाद स्टूडेंट लोन का पेमेंट कर सकता है एजुकेशन लोन में एक गारंटर की जरूरत होती है उसी की गारंटी के आधार पर ही आपको लोन दिया जाता है।

7. वाहन या कार लोन (Car Loan)

जब आप कोई वाहन खरीदना चाहते हैं और आपके पास पर्याप्त पैसे नहीं है तो आप ऐसी स्थिति में बैंक से लोन लेते हैं तो उस लोन को वाहन अथवा कार लोन कहते हैं। Types Of Bank Loans In India वाहन अथवा कार लोन में जब तक आप पूरी लोन की रकम बैंक को वापस नहीं करते हैं तब तक कार का मालिकाना हक बैंक के पास होता है।

When you want to buy a vehicle and you do not have enough money, then in such a situation you take a loan from the bank, then that loan is called a vehicle or car loan. In vehicle or car loan, until you return the entire loan amount to the bank, the ownership of the car remains with the bank. Types Of Bank Loans In India

8. इंश्योरेंस पॉलिसी से लोन (Loan by Insurance policy)

यदि आपने पारस्परिक जीवन बीमा प्लान लिया है तो आप उस पॉलिसी के साथ से लोन भी ले सकते हैं यह लोन आपको टर्म प्लान पर नहीं मिलेगा। Types Of Bank Loans In India केवल ट्रेडिशनल लाइफ इंश्योरेंस प्लान पर ही मिलेगा क्योंकि आप अपनी पॉलिसी से ही दवाई ले रहे हैं इसलिए आपको लोन आसानी से मिल जाना चाहिए।

If you have taken a mutual life insurance plan, then you can also take a loan against that policy, you will not get this loan on a term plan. Available only on traditional life insurance plan as you are taking medicines from your policy itself so you should get the loan easily.

9. लोन अगेंस्ट सिक्योरिटी (loan against security) Types Of Bank Loans In India

सिक्योरिटी के बदले मिलने वाला लोनइस प्रकार के लोन में बैंक आफ ए सिक्योरिटी पेपर अपने पास रख लेता है और उसके बदले में आपको लोन उपलब्ध करवाता है। Types Of Bank Loans In India यहां जानते हैं कि सिक्योरिटी पेपर क्या होता है? यदि आपने मुसल एंड डिमैरिट्स एयर इंश्योरेंस स्कीम बॉन्ड में पहले से इन्वेस्ट किया है तो यही आपके लिए सिक्योरिटी पेपर है इसके बदले में आपको बैंक लोन देता है इन पेपर के वैल्यू होते हैं आप यदि लोन चुकाने में असमर्थ है तो बैंक आपके सिक्योरिटी पेपर को जब्त कर लेता है और बाजार में बेच देता है।

Loan against security In this type of loan, the bank keeps the paper of a security with it and in return provides the loan to you. Types Of Bank Loans In India Do you know here what is a security paper? If you have already invested in Musal and Demerits Air Insurance Scheme Bond, then this is the security paper for you, in return, the bank gives you a loan, these papers have value, if you are unable to repay the loan, then the bank will seize your security paper. collects it and sells it in the market.

10. कॉरपोरेट लोन (Corporate Loan) Types Of Bank Loans In India

जब बैंक किसी बड़ी हस्ती को मन के व्यवसाय के लिए लोन उपलब्ध करवाती है तो उसे कॉरपोरेट लोन कहा जाता है। अभी के नियम के अनुसार बैंक अपनी और कैपिटल का 55% तक किसी एक बड़ी कंपनी को लोन दे सकता है हाल ही में डिफॉल्टर घोटालों को देखते हुए आरबीआई ने नया नियम निकाला है कि केवल बैंक अपनी और कैपिटल का 20% तक लोन दे सकते हैं जिससे कि ज्यादा जोखिम ना हो और जोखिम से बचा जाए। Types Of Bank Loans In India

When the bank provides a loan to a big personality for the business of mind, then it is called a corporate loan. According to the current rule, the bank can give loan up to 55% of its own capital to any one big company, in view of the recent defaulter scams, RBI has brought out a new rule that only banks can give loan up to 20% of their own capital. So that there is not much risk and the risk is avoided.

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