आखिर क्यों मानते हैं पितृ पक्ष? जानें वजह और इसकी सही तिथि

Pitru Paksha 2023 date: आपके मन में भी यही जिज्ञासा होगी कि आखिरकार श्राद्ध पक्ष या पितृपक्ष क्यों मनाया जाता है और श्राद्ध पक्ष बनाने के पीछे इतिहास क्या है और श्राद्ध पक्ष को हम कैसे मनाई और क्या उसकी सही विधि होगी और इसकी दिनांक क्या होती है या हिंदी महीने के अनुसार यह कब मनाया जाता है और कब हम अपने बड़े बुजुर्ग जो आप इस दुनिया में नहीं है उनका श्राद्ध कैसे मनाएं. इन सभी प्रश्नों का उत्तर आज की इस पोस्ट में हम देंगे तो बने रहिए..

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.

Pitru Paksha 2023 date
Pitru Paksha 2023 date

Pitru Paksha 2023 Importance: 

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2023 Date) यानि श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व होता है. हिंदू धर्म में तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध को कर्म माना गया है जो कि प्राचीन काल से किया जा रहा है. मान्यता है कि जो लोग इस धरती पर नहीं हैं, उनके लिए और पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म जरूर करना चाहिए. इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है तथा उन्हें आशीर्वाद प्रदान करते हैं. 

गरूड़ पुराण में वर्ण त पितर ऋण मुक्ति मार्ग रेखा :
कल्पदेव कुर्वीत समये श्राद्धं कुले कश्चिन्न सी दति । आयुः पुत्रान् यशः स्वर्गं की र्तिं पुष्टिं बलंश्रियम्।। पशून् सौख्यं धनं धान्यं
प्राप्नुयात् पितृपूजनात्। देवकार्या दपिसदा पितृकार्यं विशिष्यते।। देवताभ्यः पितृणां हि पूर्वमा प्यानं शुभम्।।

अर्थात् ‘समयानुसार श्राद्ध करने से कुल में कोई दुखी नहीं रहता । पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति,
पुष्टि , बल, श्री , पशु, सुख और धन-धान्य प्राप्त करता है। देवकार्य से भी पितृकार्य का विशेष महत्व है। देवताओं से पहले
पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी है।’

पितृ पक्ष 2023 की तिथियां (Pitru Paksha 2023 Date)

हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से शुरू होता है और यह अमावस्या को खत्म होता है. इस प्रकार पितृ पक्ष करीब 15-16 दिनों का होता है. इस साल पितृ पक्ष शुक्रवार 29 सितंबर 2023 को शुरू होकर शनिवार 14 अक्टूबर 2023 को समाप्त होगा. इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनकी मृत्यु तिथि पर तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करते हैं. इससे पितर प्रसन्न होकर अपने परिजनों को आशीर्वाद देते हैं.

पितृ पक्ष का महत्व

हिंदू धर्म में किसी की भी मृत्यु के बाद उसका श्राद्ध किया जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, यह करना बेहद जरूरी एवं अनिवार्य भी होता है. इसलिए हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व होता है. इस दौरान लोग 15 दिनों तक अपने पितरों का तर्पण और पिंडदान करते हैं. धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में विधि-विधान से पितरों का तर्पण न किया जाये तो उनकी आत्मा इधर उधर भटकती है अर्थात उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है. श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. 

कहा जाता है कि पितृ पक्ष में यमराज सभी पितरों को अपने परिजनों से मिलने के लिए मुक्त कर देते है. पितृ पक्ष के दौरान पितर भी अपने परिजनों से मिलने धरती पर विचरण करते हैं. इस लिए इस दौरान श्राद्ध और पिंडदान करने से उनको तृप्ति मिलती है और वो प्रसन्न होकर अपने परिजनों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. उनके आशीर्वाद से घर परिवार में शांति और सुख-समृद्धि बढ़ती है.

पितृपक्ष कब से स्टार्ट है?

2023 का पितृपक्ष 29 दिसंबर 2023 से 14 अक्टूबर 2023 तक है.

2023 में श्राद्ध कब से शुरू है?

2023 में श्रद्धा 29 सितंबर प्रतिपदा से 14 अक्टूबर 2023 तक है.